google.com, pub-6370463716499017, DIRECT, f08c47fec0942fa0 AlfaBloggers Best Bloggers Team Of Asia : November 2022

Wednesday, 16 November 2022

Webtalk and Linkteree Links

 


https://www.webtalk.co



https://linktr.ee/LessonfromBusinessLeader



https://linktr.ee/worktowin



https://linktr.ee/pragatiagrawal


https://linktr.ee/manisha_rewani


https://linktr.ee/surabhi_chourasia













National Campaign Launched by Investing Billions of Rupees to Destroy Rahul Gandhi's Image

National Campaign  Launched by Investing Billions of Rupees to Destroy Rahul Gandhi's Image 

Rahul Gandhi is the first leader in independent India whose national campaign was launched by investing billions of rupees to destroy his image.


The reason was to refuse to benefit a few industrialists... and supporting tribals.


When they were powerful, in power, instead of supporting corporates, they supported tribals and paid the price for it.


A national campaign was launched against him to tarnish his image.


This campaign started in 2010 and a system of crores and billions was created. At least three corporate houses, along with a lawyer and former minister representing them in the Supreme Court, launched the campaign.


Which included two media houses, some pet editors and journalists. Under this campaign, news was continuously planted against Rahul Gandhi for years so that the people of the country do not take him seriously.


The lawyer leader used to decide what was to be published against Rahul Gandhi in the media.


Journalists Rohini Singh and Abhisar Sharma have made this disclosure together. According to him, what happened was that the corporate group Vedanta wanted to do mining in Niyamgiri, Odisha.


The tribals opposed it. When the struggle increased, the matter reached Delhi. Rahul Gandhi said that the voice of tribals will be heard.


The government will not allow mining. This stand of Rahul Gandhi not only went against the Vedanta Group Congress, but also started increasing panic among other corporate houses.


The message was that if Rahul Gandhi comes to power, he will stand with the people and oppose the corporate. Meanwhile, in the Ambani group, a close aide of Modi and Shah was seated at the top position. This created a distance between the Congress and Ambani.


Till that time, Rahul Gandhi was in the media. However, despite much effort, he did not meet any corporate. People in the corporate world felt that if Rahul Gandhi is strong, then there may not be good results for him.


As a result, some strong industrial groups joined a campaign to defame Rahul Gandhi.


Unfortunately, some Congressmen also played an important role in this.


If you know Rahul Gandhi through WhatsApp University, then you will not like this story,


But if you listen to Rahul Gandhi seriously, know his true predictions on Corona, demonetisation, economy, etc., are familiar about that lawyer leader's impact on the media,


If you have an idea of the ongoing character assassination campaign against Rahul Gandhi, then this story will not surprise you. Those who know know that whatever Rahul Gandhi leader is, a national campaign was launched in this country to tarnish his image.


The poisonous IT cell came into existence under the same false campaign that has brought Indian politics to the abyss.



राहुल गांधी आजाद भारत में पहले नेता हैं जिनकी छवि बर्बाद करने के लिए अरबों रुपये लगाकर बाकायदा राष्ट्रीय अभियान चलाया गया.


वजह थी चंद उद्योगपतियों को फायदा पहुंचाने से इनकार करना ... और आदिवासियों का साथ देना.


जब वे ताकतवर थे, सत्ता में थे तो कॉरपोरेट का साथ देने की जगह आदिवासियों का साथ दिया और इसकी कीमत चुकाई.


उनकी छवि धूमिल करने के लिए उनके खिलाफ राष्ट्रीय अभियान चला दिया गया.


यह अभियान 2010 में शुरू हुआ और बाकायदा करोड़ों-अरबों का तंत्र बनाया गया. कम से कम तीन कॉरपोरेट घरानों ने सुप्रीम कोर्ट में उनकी नुमाइंदगी करने वाले एक वकील एवं पूर्व मंत्री के साथ मिलकर यह अभियान चलाया,


जिसमें दो मीडिया घराने, कुछ पालतू संपादक और पत्रकार शामिल थे. इस अभियान के तहत राहुल गांधी के खिलाफ सालों तक लगातार खबरें प्लांट की गईं ताकि देश की जनता उन्हें गंभीरता से न ले.


मीडिया में राहुल गांधी के खिलाफ क्या छपना है यह वो वकील नेता तय करता था.


पत्रकार रोहिणी सिंह और अभिसार शर्मा ने मिलकर यह खुलासा किया है. उनके मुताबिक, हुआ ये कि कॉरपोरेट समूह वेदांता नियामगिरि, ओडिशा में खनन करना चाहता था.


आदिवासियों ने इसका विरोध किया. संघर्ष बढ़ा तो बात दिल्ली तक पहुंची. राहुल गांधी ने कहा कि आदिवासियों की आवाज सुनी जाएगी.


सरकार खनन की इजाजत नहीं देगी. राहुल गांधी के इस स्टैंड से वेदांता ग्रुप तो कांग्रेस के खिलाफ गया ही, बाकी कॉरपोरेट घरानों में भी घबराहट बढ़ने लगी.


संदेश ये गया कि राहुल गांधी सत्ता में आए तो जनता के साथ खड़े होकर कॉरपोरेट का विरोध करेंगे. इसी बीच अंबानी समूह में मोदी और शाह के एक करीबी को टॉप पोजिशन पर बैठाया गया. इसे लेकर कांग्रेस और अंबानी में दूरी पैदा हुई.


उस समय तक राहुल गांधी मीडिया में छाए रहते थे. हालांकि, बहुत कोशिश के बावजूद वे किसी कॉरपोरेट से नहीं मिलते थे. कॉरपोरेट जगत के लोगों को लगा कि अगर राहुल गांधी मजबूत हुए तो उनके लिए हो सकता है अच्छा परिणाम न हो.


नतीजतन कुछ मजबूत औद्योगिक समूहों ने राहुल गांधी को बदनाम करने का अभियान ज्वाइन किया.


दुर्भाग्यपूर्ण ढंग से कुछ एक कांग्रेसियों ने भी इसमें अहम भूमिका निभाई.


अगर आप व्हाट्स एप विश्विद्यालय के जरिए राहुल गांधी को जानते हैं तो आपको यह कहानी रास नहीं आएगी,


लेकिन अगर आप राहुल गांधी को गंभीरता से सुनते हैं, कोरोना, नोटबंदी, अर्थव्यवस्था आदि पर उनकी सच होती भविष्यवाणियों को जानते हैं, मीडिया पर उस वकील नेता के प्रभाव के बारे में परिचित हैं,


राहुल गांधी के खिलाफ चल रहे चरित्र हनन अभियान का अंदाजा है तो आपको यह कहानी हैरान नहीं करेगी। जानने वाले जानते हैं कि राहुल गांधी नेता जैसे भी हों, लेकिन उनकी छवि खराब करने के लिए इस देश में राष्ट्रीय अभियान चलाया गया।


जहरीली आईटी सेल उसी मिथ्या अभियान के तहत वजूद में आई थी जिसने भारतीय राजनीति को रसातल पहुंचाया है।